दौलतराम सारण : किसानों के लोकप्रिय नेता और गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी

राजस्थान की राजनीति और किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी नेता और पूर्व सांसद दौलतराम सारण का नाम आज भी बड़े आदर से लिया जाता है। 13 जनवरी 1924 को चूरू जिले के ढाणी पंचेरा गांव में जन्मे दौलतराम सारण ने अपना पूरा जीवन देश, किसानों और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया।


स्वतंत्रता आंदोलन से राजनीति तक : दौलतराम सारण महात्मा गांधी के पक्के अनुयायी थे। उन्होंने 1942 में गांधी टोपी पहनने का संकल्प लिया और जीवन भर उसी गांधी विचारधारा पर चलते रहे। बीकानेर रियासत में उन्होंने किसानों को जागीरदारों के शोषण के खिलाफ एकजुट किया और 1945 से 1948 के बीच बीकानेर राज्य प्रजा परिषद से जुड़कर जन सरकार के गठन में भूमिका निभाई। 1948 से 1957 तक उन्होंने कांग्रेस में ज़िला स्तर पर महासचिव और अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को मजबूत किया। इसके बाद वे लगातार तीन बार डूंगरगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने और राजस्थान सरकार में कृषि, पशुपालन, सहकारिता, पंचायत राज जैसे महकमे संभाले।

लोकसभा और केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी : दौलतराम सारण तीन बार चूरू से लोकसभा सांसद चुने गए — 1977 में जनता पार्टी, 1980 में जनता पार्टी (एस) और 1989 में जनता दल से। वे चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री भी रहे। संसद में उन्होंने लोक लेखा समिति, गृह समिति और कई अन्य समितियों में काम किया।

किसानों के सच्चे साथी : 1974 में उन्होंने राजस्थान किसान संघ की स्थापना की और लेवी के खिलाफ किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया। जयपुर में लाखों किसानों की रैलियां कर उन्होंने किसानों को एकजुट किया और उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचाई।

सुधारक नेता : उन्होंने बाल विवाह, मृत्युभोज और बंधुआ मज़दूरी का विरोध किया। थार रेगिस्तान के गांवों में पौधारोपण कर पर्यावरण बचाने की वकालत की। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने 287 गांवों में स्कूल, पुस्तकालय और वयस्क शिक्षा केंद्र खोलकर समाज को नई दिशा दी। गांधी विचारधारा के अनुसार सादगी और उच्च विचार उनके जीवन का मूल मंत्र रहा।

सम्मान और विरासत : उनके योगदान को देखते हुए 31 अगस्त 2017 को उन्हें मरणोपरांत जाट कीर्ति संस्थान चूरू द्वारा सम्मानित किया गया। 2 जुलाई 2011 को जयपुर में उनका निधन हुआ और स्वतंत्रता सेनानी के नाते पूरे राजकीय सम्मान के साथ सरदारशहर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। दौलतराम सारण आज भी ईमानदार राजनीति, सादा जीवन और किसानों के संघर्ष की मिसाल बने हुए हैं।

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